मनुष्य को उतपन्न करने से पहले परमेश्वर ने बहुत सारी चीजों की रचना की और उसे मनुष्य के आधीन कर दिया ताकि मनुष्य सुख से रहे। लेकिन परमेश्वर ने मनुष्य को रोते विलखते हुए देखा। उसने मनुष्य को आंशू बहाते हुए देखा। उसने मनुष्य को मृत्यु के वादियों से गुजरते हुए देखा। तब उन्होंने स्वयं को मनुष्य वेश में रचा और आपसे मिलने के लिए धरती पर आया। उन्होंने पुकार - पुकार कर कहा - तुम व्याकुल मत हो। तुम मेरा कहना मानो, मेरे पास आओ तो तुम जीवित रहोगे। मैंने तुम्हें रोने के लिए नहीं रचा। मैंने तुम्हें आंशू बहाने के लिए नहीं रचा। मैंने तुम्हें शोक करने के लिए नहीं रचा। मैं तुम्हारे शोक को आनंद में बदल दूंगा। जिन - जिन वस्तुओं को मैं तुम्हें देना चाहता हुँ उसके लिए मैं एक लिस्ट बनाया हूँ । मैं चाहता हुँ की तुम उस लिस्ट को पढ़ो और आनंदित हो। जिन - जिन वस्तुओं को मैं तुम्हें देना चाहता हुँ वह निम्न प्रकार है :-
(१ ) जिनकी लज्जा की चर्चा सारी पृथ्वी पर फैली है उनकी प्रशंसा और कीर्ति को मैं सब जगह फैला दूंगा।
(२) परमेश्वर ने कहा की मैं तुमको दुगुना सुख दूँगा।
(३) जितना तुमने खोया है उसका मैं तुम्हें दुगुना दूंगा।
(४) मैं तुम्हारे शोक को आनन्द में बदल दूंगा।
(५) जगत के अन्त तक सदैव मैं तुम्हारे साथ रहूंगा।
(६) मैं तुम्हारे आगे-आगे चलूँगा और ऊँची-नीची भूमि को चौरस करूंगा।
(७) मैं तुम्हारी सहायता करूंगा और अपने धर्ममय हाथों से संभाले रहूंगा।
(८) जिसका मन मुझमें धीरज धरे हुए है उसको मैं पूर्ण शान्ति के साथ रक्षा करूंगा।
(९) मृत्यु को सदा के लिए नाश करूंगा और सबके मुख पर के आंशुओं को मैं पोछ डालूँगा।
(१०) मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूंगा क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है।
(११) जब वह मुझको पुकारेगा तब मैं उसकी सुनूंगा। संकट में मैं उसके संग - संग रहूंगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊंगा।
2 comments:
We don't get these things because we do not have faith in God... i hope to become the person who is fit to get all these things.
Jai shree kalki
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